प्रिया चारण , उदयपुर ,

प्रिया


में प्रिया बहुत प्रिय हूँ


कभी कृष्ण प्रिया ,कभी हरिप्रिया


हर ह्रदय में बसती हूँ


कभी काली रातो मे सिसकती हूँ


कभी दिन के उजाले में चमकती हुँ


कभी बीती बातो में उलझती हूँ


कभी मिसालों में खुदको परखती हूँ


कभी मिसाल बन मर निखरती हूँ


कभी सबके लिए खुदको खोती हूँ


कभी सबको खो कर खुदको पाती हूँ


कभी कविता बन लोगो के मन मे चल हूँ


कभी पिंजरे में ही सिमटती हूँ


कभी राधा सी प्रिय लगती हूँ


कभी खुदको मीरा सी लाचार लगती हूँ


कभी प्रिया सा प्रेम का गुलाब लगती हूँ


तो कभी क्रोधित काटो सी चुभती हूँ


नन्हा बच्चा दिल मे रखती हूँ, बात बात पर रो देती हूँ


ओरो का पता नही , जो भी हूँ जैसी भी हूँ खुदमे बेमिसाल हूँ


इतनी मुश्किलो के बाद भी आबाद हूँ


शायद में कमाल हूँ


में प्रिय प्रिया हूँ


 


प्रिया चारण ,


उदयपुर ,राजस्थान


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