रश्मि लता मिश्रा

गीतिका 


212 212 212 212


 


वीरता धीरता है दिखा चल दिए


माँ कहे लाड़ले सर कटा चल दिए।


 


जान तो देश खातिर सहेजे रहे


आ गया देख वक्त तो गवां चल दिए।


 


कौन है देख जो भारती से बड़ा


आज अपना लहू भी बहा चल दिये।


 


चीन के चार देखो गिरा के चले


नीति रण की यही तो निभा चल दिये।


 


नमन है वीर को वीरता को करें


देख नम आँख करके कहाँ चल दिये।


 


रश्मि लता मिश्रा


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