कविता:-
*"अपने बदल जाते है"*
"देवालय वही जग में यहाँ,
पुजारी बदल जाते है।
रास्तें वहीं जीवन के फिर,
कदम बदल जाते है।।
दुनियाँ वही साथी ये तो,
इन्सान बदल जाते है।
भक्ति वही जीवन में साथी,
यहाँ भक्त बदल जाते है।।
संजोए सपने जीवन में,
वो सपने बदल जाते है।
अपनो की दुनियाँ में देखो,
अपने बदल जाते है।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः 21-06-2020
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