सुनील कुमार गुप्ता

कविता:-


       *"योग"*


"नित योग करने से ही,


निर्मल होता-


तन-मन।


निर्मल तन-मन से ही,


होती भक्ति-


प्रभु बसते मन।


मन बसे प्रभु भक्ति जो,


सार्थक होता-


ये जीवन।


योग करें निरोगी बने,


तन-मन बन जाये-


दर्पण।


विकार नहीं जीवन में,


सत्य-पथ पर-


सबका मिलता समर्थन।


नित योग करने से ही,


निर्मल होता-


तन-मन।।"


ःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता


sunilgupta.abliq.in


ःःःःःःःःःःःःःःःःः 21-06-2020


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