सुनीता असीम

कोई भी चलेगा न बहाना मेरे आगे।


तुमको न मिलेगा कोई सीधा मेरे आगे।


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ऐसे न भड़क जाया करो बात मेरी सुन।


नीचा ही रखो अपना ये लहजा मेरे आगे।


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औरों की तुम्हें बाहों में देखूं तो जले जाँ।


सीने से किसी को न लगाना मेरे आगे।


***


दुश्मन हो गया प्यार मुहब्बत का जमाना।


चलता न किसीका वैसे सिक्का मेरे आगे।


***


बिछड़ा वो ही मुझसे जो नहीं भाग्य में मेरे।


जीवन का उसीके टूटा धागा मेरे आगे।


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सुनीता असीम


१/६/२०२०


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