विवेक दुवे निश्चल

*वो शोहरतें पुरानी ।*


*वो दौलते कहानी ।*


*चाहतों की चाह में ,*


 *ये दुनियाँ दिवानी ।*


*हो सकीं न मुकम्मिल,*


*और कट गई जवानी ।*


*जिंदगी के सफ़र की ,*


*सबकी यही कहानी ।*


... *"निश्चल"@*.....


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...