आज द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर एक रचना .....
काशी ही मधुवन हो जाए,
विश्वनाथ धड़कन हो जाए!
नयनों में उज्जैन बसे तो,
सन्यासी ये मन हो जाए!
सोमनाथ का करें स्मरण,
मल्लिकार्जुन तन हो जाए!
ममलेश्वर का ध्यान करें,
वैद्यनाथ आंगन हो जाए!
भीमाशंकर के दर्शन हों,1
नागेश्वर तपवन हो जाए!
त्रयंबकेश्वर हों नयनों में,
घुश्मेश्वर अंजन हो जाए!⁰
राम मिलें जब,रामेश्वर में,
केदारवन ये मन हो जाए !!
.. श्रीकांत त्रिवेदी
लखनऊ
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511