सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति तृतीय

पावन सरिता शिप्रा के तट महाकाल विख्यात सनातन।


स्थित ज्योतिर्लिंग त्रतीय है उज्जयिनी में परम पुरातन।


एक गोप बालक ने देखा चंद्रसेन राजन शिव पूजन।


करूंगा मैं भी शिव का पूजन ठानी बालक ने अपने मन।


पाहन एक किया स्थापित पूजन विधिवत शिवरूप किया।


भोजन पर भी जब ना आया तब मां ने पत्थर फेंक दिया।


अत्यंत दुखी करके विलाप रटते शिव नाम हुआ मूर्छित।


सुनकर पुकार शिव आशुतोष करुणा से हुये द्रवित विगलित।


बालक के नेत्र खुले देखा मन्दिर एक विशाल स्वर्ण मय।


उसके भीतर फिर प्रगट हुआ शिव ज्योतिर्लिंग परम तेजमय।


आनन्द विभोर हुआ बालक स्तुति करके शिव चरण छुए।


राम भक्त हनुमान उसी क्षण बालक के सम्मुख प्रगट हुए।


तेरी अष्टम पीढ़ी बालक जन्म नन्द गोप जी का होगा।


भगवान विष्णु का कृष्ण रूप अवतार उसी के घर होगा।


विविध करेंगे लीलाएं प्रभु अपने मनुज रूप में रहकर।


तत्क्षण ही अन्तरध्यान हुए अंजनी लाल इतना कहकर।


ज्योतिर्लिंग परम पवित्र यह जन मानस का कष्ट निवारक।


करे अकाल मृत्यु से रक्षा मोक्ष प्रदायक पाप विनाशक।


चरण कमल रज शीश धरूं नित पूजूं तुम्हें सदा निष्काम। 


हे शिवशंकर हे गंगाधर हे गौरीपति तुम्हें प्रणाम।


 


     सुरेन्द्र पाल मिश्र पूर्व निदेशक भारत सरकार।


फोन-९९५८६९१०७८,८८४०४७७९८३


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