कालिका प्रसाद सेमवाल

हंसी तुम्हारी लगती सुहानी


 


तुम्हारा मधुर रुप मेरी देखा तो


धवल चांदनी की किरण में नहाई


तुम्हारी सजल ज्योति देती दिखाई


यहां पुष्प कलियां नयन में हमारे


तुम्हारे सुघर रुप को नित संवारें


तुम्हारे नयन में निशा की निशानी।


 


तुम्हारे लिए रश्मि सूरज उगाए


तुम्हारे लिए दीप जलते अदाएं


तुम्हारे लिए तारिकाएं गगन में


निशा के समय पांति अपनी बिछायें


उभरती तुम्हारी मधुर सी जवानी।


 


चल रहा पवन अब तुम्हारे लिए


खिल रही है कली सब तुम्हारे लिए


गीत मैंने रचा यह तुम्हारे लिए


प्यार मेरा पहला है तुम्हारे लिए


हंसी यह तुम्हारी लगी है सुहानी।


 


कालिका प्रसाद सेमवाल


मानस सदन अपर बाजार


रुद्रप्रयाग उत्तराखण्ड


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