डॉक्टर शिवा अग्रवाल 

जश्न ए आजादी ए दोस्त ऐसे ही कहा मना होगा


जंजीरों में बंधकर शैल पर खून तो बहुत बहा होगा


नम आंखों से कई बार अपनों को अलविदा कहा होगा 


 बिस्मी हुई चूड़ियों को डब्बे में बंद कर याद अपनों को किया होगा


 गैर की निगाहों से खुद को बचा कर जहर का प्याला भी पिया होगा


 जश्न ए आजादी ए दोस्त ऐसे ही कहा मना होगा


 


प्यारा भारत देश हमारा 


सोने की चिड़िया कहलाया 


क्रांतिकारियों ने इसके मस्तक पर 


अपने लहू से तिलक लगाया 


ये मर मिटने का जज़्बा न जाने इनमें कहां से आया


इनकी वीरता, दृढ़ता , जोश के आगे


 श्रद्धा से हमने शीश झुकाया


 


माताएं तो इनकी भी ममतामय होंगी


अपने बेटों को लहूलुहान देख भीतर से दर्दमय होंगी


बांध कफन मौत का ममता का आंचल हटाया


भारत मां के लिए ये जज्बा न जाने इनमें कहां से आया


 


पिता तो इनके भी राह देख थकते होंगे 


अपने बेटों को गले लगाने के लिए तरसते होंगे


अपने बुढ़ापे के सहारे को कांधा देकर अरमानों को भी दफनाया


अपने देश के लिए ये जज्बा ना जाने इनमें कहां से आया


 


पत्नी, बच्चे, भाई-बहन और प्रेमिका


हर रिश्ता प्यार साथ विश्वास की नींव पर टिका


 हर उम्मीद हर सपना भी साथ उनके गंगाजल में बहाया


स्वतंत्रता के लिए ये जज्बा ना जाने इनमें कहां से आया


 


यह वीर भी तो कभी बच्चे होंगे


बचपन से ही सपने में तिरंगा झंडा हर पल फहराया


माता-पिता इनके फक्र से कहते होंगे


अंग्रेजों भारत छोड़ो देखो वीर क्रांतिकारी आया


 


नाम -डॉक्टर शिवा अग्रवाल 


मकान नंबर 5415


 पंजाबी मोहल्ला, अंबाला


 हरियाणा। 


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