मदन मोहन शर्मा सजल

मेरी प्रीत की पहचान हो तुम,


गीतों की राग सुरतान हो तुम,


 


दिल में जलाकर प्यार का दीपक,


ख्वाब की महफूज वितान हो तुम,


 


चाहा तुम्हें दिल भी लुटा दिया,


यादों की मीठी विहान हो तुम,


 


रागिनी बन छाई मानो घटा,


कैसे न कहूँ रब जहान हो तुम,


 


दिल के दरवाजे बंद थे सनम,


दस्तक दी वो मेहमान हो तुम।


 


हवाले कर दी जीवन की डोर,


टप टप टपकते अरमान हो तुम,


 


कितनी सुहानी थी वो' मुलाकात,


जमीं, सितारे, आसमान हो तुम।


 


मदन मोहन शर्मा 'सजल'


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