राजहंस मिश्र

हे मातृ तुल्य,हे सर्वश्रेष्ठ, 


हे राष्ट्र तुम्हारी जय होवे।


हम जीवन का क्षण-क्षण दें दें न कभी तुम्हारी क्षय होवे।।


 


हे मातृ भूमि, हे पूज्य भूमि,


मस्तक पर ऐसे राजो तुम।


ज्यों स्वर्ण मुकुट हो राजा का 


इस मूढ़ पे ऐसे साजो तुम।


 


हैं कर्जदार हम सब तेरे....।


तेरा तुझको सब अर्पण है।।


यदि राष्ट्र हेतु जीवन आये


तो प्राणों का भी तर्पण है।।


 


हे सिंह सदा तुम सिंह रहो....


ना झुको ....प्रसिद्धि नित नय होवे।


हे मातृ तुल्य, हे सर्वश्रेष्ठ,


हे राष्ट्र तुम्हारी जय होवे।।


 


नाम:-राजहंस मिश्र


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