नशा सभी को कुछ ना कुछ है,
मानो कहना भाई।
झूठ नहीं ये बात सही है,
कहता राम दुहाई।
नशा किसी को तंबाकू का,
चढ़ी किसी को दारू।
और किसी को गाॅ॑जे का है,
पीता जिसे समारू।
नशा किसी को धन-बल का या,
भुज-बल का है भाई।
नशा उसे भी जिसने पद या,
कोई कुर्सी पाई।
नशे में हैं देश के नेता,
संग सभी अधिकारी।
जिधर देख लो उधर नशे की,
है फैली बीमारी।
।। राजेंद्र रायपुरी।।
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