संजय जैन

लूटकर अपना सब कुछ


अभी तक तो जिंदा है।


रहमो कर्मो पर उसके


अभी तक जी रहे है।


किसी और की करनी का


फल पूरा विश्व भोग रहा है।


और फिर भी शर्म उन्हें बिल्कुल भी नही आ रहा।।


 


कितना जहरीला होता है


आज का ये इंसान।


जो विपत्ति में भी अपने 


मुंह से जहर उगल रहा है।


और निर्दोषों को अपास


में लड़वा जा रहा है।


बेशर्मता की अब तो 


बहुत हद हो गई।


क्योंकि नियमो की धज्जियां 


नेता ही उड़ा रहे।।


 


अब देखो भक्तों 


वक्त बदल रहा है।


जहर उगलने वालो 


पर ही कहर ढा रहा है।


एक एक करके सारे 


 मैदान में आ रहे है।


और अपनी करनी का 


 फल भोगे जा रहे है।।


 


भाग्यविधा किसी को 


भी नहीं छोड़ता है।


अपने पर हुए अत्याचारों का 


हिसाब किताब ले रहा है।


जो खुदको भगवान


समझ बैठे थे


खुद भगवान से रेहम की 


 भीख मांग रहा है।


और चौखट पर उसकी


नही पहुंच पा रहा है।


क्योंकि उसने अपने द्वार अब इंसानों को बंद कर दिए,


बंद कर दिए...।।


 


 


संजय जैन (मुम्बई)


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