सुनीता असीम

सोए हुओं के हाथ में तुम इक मशाल दो।


दिल से मलाल ज़िन्दगी के सब निकाल दो।


***


इक हाथ कोई मार दे चहरे पे आपके।


फिर ये न हो कि दूसरा अपना ही गाल दो।


***


गर थक गए हो आप तो आराम भी करें।


पर मुस्कराके एक हसी भी उछाल दो।


***


सब दुश्मनी निकाल दो दिल से जनाब तुम।


जो भी हुआ है उसपे तो मिट्टी ही डाल दो।


***


कुछ कर दिखाओ आपका लें नाम भी सभी।


सबसे अलग मुकाम बना इक मिसाल दो।


 


सुनीता असीम


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