सुनीता असीम

ख्वाब भी केवल सताने ही सताने आते।


प्यार के सारे तराने दिल जलाने आते।


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मिल नहीं सकतीं जरूरत है उन्हीं खुशियों की।


ये बहारों के नजारे भी चिढ़ाने आते।


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जिंदगी ने दे दिए मुझको सदा ग़म ही ग़म।


चांद के कुछ तो सितारे घर सजाने आते।


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कुछ सबक बाकी रहे हैं सीखने को मेरे।


आज तो रिश्ते सभी जीना सिखाने आते।


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भूल बैठी हूं सभी सुध-बुध जमाने की मैं।


लोग भी बातें जमाने की सुनाने आते।


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सुनीता असीम


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