चंदन री महक
बात वही सुणाऊँ पुराणी
चित्तौड़ रे महलां री कहाणी
पन्ना धाय री ममता झळकै
इत उत षड़यंत्र खड़ा पनपै
स्वामिभक्त वा बड़ी बलिदानी
राजपूती इतिहास री अमर कहाणी
चन्दन री माँ धाय उदय री
ममता री मूरत वा प्रलय सी
बनवीर क्रूर बड़ा आततायी
चित्तोड़ री जनता बड़ी दुखयाई
हाय!री विधना काँई लिख्यो या
हिवड़ो फट ज्या काज हुयो वा
काल रूप बण हाथ खड्ग लै
बनवीर आयो महलां री गत में
तब राजवंश री आण बचावण
लियो कठोर निर्णय छत्राणी
आपणो पूत सजायौ मनभर
करयो दुलार प्यार जी भरकर
करयो काळजो आपणो पत्थर
उदय सिंह रे पलंग पर सुलायो
मीठी लोरी वाने गाके सुणायो
अट्टहास करतो वा आयो
पलंग रे ऊपर खड्ग चलायो
बिखरी धार खून री उस क्षण
उठ्यो जबर तूफान हिय में
चीत्कार सो गूँजयो नभ में
फिर भी सधी खड़ी छत्राणी
अँसुवन रोक सही मनमाणी
हुई न जग में ऐसी नारी
जिससे विधना भी थी हारी
धन्य धन्य!! वा वीरांगना नारी
ऐसी हिम्मत किसी में न री
बिखरी गन्ध मधुर सी प्रातः
चन्दन रे बलिदान री गाथा
डॉ0 निर्मला शर्मा
दौसा राजस्थान
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