कमल कालु दहिया

विद्या - हाइकु 


 


  श्राद्ध पितर 


संस्कारविधी हिन्दू 


  पूर्वज पूज। 


 


श्राद्ध अस्तित्व 


पूर्वज कौशल का 


   समृद्धि तत्व। 


 


  वंशज ज्ञान 


प्रकाश विश्व में वो 


  दे पिण्डदान। 


 


  श्राद्ध या पितृ 


वो अंतरिक्षवासी 


  उल्लेख वेद। 


 


  ऐतरेय में 


अग्नि उल्लेख रज्जु 


  पूर्वज स्वर्ग। 


 


  मृत्युपरांत 


कौशीतकी उल्लेख 


  है चंद्रलोक।। 


 


 


  रचनाकार - 


कमल कालु दहिया


   जोधपुर, राजस्थान


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...