हिन्दी मेरी प्यारी भाषा
जीवन का सम्मान है
माँ शब्द निकले मुख से
जीवन दाता प्राण है ।
वर्ण और व्यंजन की
अद्भुत देखो खान है
सजी हुई अलंकारों से
मुहावरे जिसकी जान हैं ।
दोहे हो या हो चौपाई
मधुर मधुर गुंजार है
नव रस में डूबी ये भाषा
भारत की ये शान है ।
आन बान ये गौरव सबका
चाहे कोई क्षेत्र कोई प्रान्त है
हिन्दी है भारत की बिंदी
मातृभाषा अब राष्ट्रभाषा अभियान है।
हिन्दी दिवस में ना बाँधो इसको
मातृभाषा ये बोल चाल स्वाभिमान है।
मीठी मधुर स्वरा भाषा ये
जन जन का कल्याण है ।
चलो चलें मिल कर हम तुम
प्रचलित करें हर क्षेत्र हर प्रांत है ।
नही दोयम है ये भाषा
जागृत करना बच्चों में ये भाव हैं ।
निशा अतुल्य
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