निशा अतुल्य

महिमा विधाता तेरी


वाणी जपे सदा मेरी


अर्चन वन्दन करूँ


रटन लगाइए ।


 


राम राम जब जपूं


विपदा ही दूर करूँ


तन मन सौंप कर


कृपा मन चाहिए।


 


प्रभु तेरे गुण गान


जीवन मधुर खान


अमृत वाणी सुन के


सफलता पाइए ।


 


स्वयं जब सौंप दिया


चिंता मुक्त मन किया


प्रभु शरण बैठ के 


स्व से तर जाइए ।


 


निशा अतुल्य


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