नूतन लाल साहू

सुग्घर दिन गवागे


आशा मा बइठे, जोहत हावव


अबक तबक आवत हो ही


एक नज़र देख लेतेव


सुग्घर दिन कइसन होथय


आशा मा बइठे, जोहत हावव


जब लेे मेहा जनम धरेव


मेहा कांटा सन पिरीत बदे हो


बरसा बन के आजा, तैहर


मै तो आंखी ल घोरत बइठे हावव


आशा मा बइठे, जोहत हावव


मोर मंदिर हा,तोर बिना


सुन्ना सुन्ना लागत हावय


सुरता तोला कब आ ही


सुग्घर दिन ला मेहा, जोहत हावव


आशा मा बइठे, जोहत हावव


टी बी,कैंसर, स्वाइनफ्लू, कोरोना


न जाने अउ का का बीमारी ह आ ही


बंधाय गेरवा मा बोकरा कस


चारो खुंट,मेहा घुमत हावव


आशा मा बइठे, जोहत हावव


अतेक निठुर, काबर होगेस


तोर संग भेट करेबर


चंदा सुरुज ला,बदना बदे हव


सुग्घर दिन आवत हो ही,दिया धरके बइठे हावव


आशा मा बइठे, जोहत हावव


बाढे बेटी, बाढ़े बेटा


बाचे खेती ह, घलो बेचागे


हाय हमागे, राउर छागे


थोरको नइ थिरावत हो


आशा मा बइठे, जोहत हावव


मंदिर गेव,मस्जिद अउ गुरुद्वारा गेव


आंखी के आंसू, घला सुखागे


लिख लिख पाती,भेजे हावव


सुग्घर दिन कहा गवागे


आशा मा बइठे, जोहत हावव


नूतन लाल साहू


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