संजय जैन

दर्द को समझो


 


किसी के दर्द को जब, 


तुम अपना दर्द समझोगें।


मरी हुई इंसानियत को, जिंदा कर पाओगें।


और अपने अंदर तुम,


तभी इंसान को पाओगें।


और मनुष्य होने का,


फर्ज तुम निभा पाओगें।।


 


नहीं काटती अब उम्र,


इस तरह के माहौल में।


घुटन होती है अब, 


इस तरह के माहौल में।


जहाँ कोई किसी पर,


नहीं करता विश्वास अब।


इसलिए नहीं जीना चाहता, 


इस कलयुग में।।


 


किये थे कुछ अच्छे कर्म,


तभी मनुष्य पर्याय मिला।


फिर से सदगति पाने को


करना पड़ेगा अच्छे कर्म।


तभी अच्छी मुक्ति हमें


मिल पाएगी इस जीवन से।


और फिर से हम मनुष्य, 


जन्म को पा पाएंगे।।


 


जय जिनेन्द्र देव 


संजय जैन (मुम्बई)


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