संजय जैन

हिंदी ने बदल दी,


प्यार की परिभाषा।


सब कहने लगे


मुझे प्यार हो गया।


कहना भूल गए,


आई लव यू।


अब कहते है


मुझसे प्यार करोगी।


कितना कुछ बदल दिया,


हिंदी की शब्दावली ने।


और कितना बदलोगें,


अपने आप को तुम।


हिंदी से सोहरत मिली,


मिला हिंदी से ज्ञान।


तभी बन पाया,


एक लेखक महान।


अब कैसे छोड़ दू,


इस प्यारी भाषा को।


ह्रदय स्पर्श कर लेती,


जब कहते है आप शब्द।


हर शब्द अगल अलग,


अर्थ निकलता है।


इसलिए साहित्यकारों को,


हिंदी भाषा बहुत भाती है।


हर तरह के गीत छंद,


और लेख लिखे जाते है।


जो लोगो के दिल को छूकर,


हृदय में बस जाते है।


और हिंदी गीतों को,


मन ही मन गुन गुनते है।


और हिंदी को अपनी,


मातृभाषा कहते है।


इसलिए हिंदी को


राष्ट्रभाषा भी कहते है।।


 


संजय जैन (मुंबई )


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511