सुनीता असीम

जो जैसा भी बोऐंगे।


फसलें वैसी काटेंगे।


***


बिगड़ेंगे सब बच्चे वो।


बाप जिन्हें बस डांटेगे।


***


दोस्त बड़े गहरे सुख दुख।


मिलकर दोनों उट्ठेंगे।


***


बिन सोचे मत कुछ कहना ।


सोच समझकर बोलेंगे।


***


इक दिन ऐसा आएगा।


लोग हमें भी समझेंगे।


***


अपने मन में जो आया।


खोल जुबां को कह देंगे।


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बीते दिन भी रह रहके।


खूब सभी को सालेंगे।


***


सुनीता असीम


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