सुनीता असीम

इक कमाई धर्म की हम भी कमा ले जाएंगे।


मोह माया झूठ के नाते बहा ले जायेंगे।


***


जोड़ कर दौलत नहीं कुछ काम आती है यहां।


सोचती हूं हम खुदा के पास क्या ले जायेंगे।


***


जब बहीखाता बनेगा स्वर्ग में अपना कभी।


कर्म सारे कर सही खुद को बचाले जाएंगे। 


***


जो ग़रीबों की नहीं सुनते कभी भी आह को।


वो सभी तो आग में दोजख़ की डाले जायेंगे।


***


 आत्मा पर बोझ होगा ही नहीं कोई बड़ा।


गर दया के भाव मन में सिर्फ पाले जायेंगे।


***


सुनीता असीम


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