कितने अजब ये आज के दस्तूर हो गये
कुछ बेहुनर से लोग भी मशहूर हो गये
जो फूल हमने सूँघ के फेंके ज़मीन पर
कुछ लोग उनको बीन के मगरूर हो गये
हमने ख़ुशी से जाम उठाया नहीं मगर
उसने नज़र मिलाई तो मजबूर हो गये
उस हुस्ने-बेपनाह के आलम को देखकर
होश-ओ-ख़िरद से हम भी बहुत दूर हो गये
इल्ज़ाम उनपे आये न हमको ये सोचकर
नाकरदा से गुनाह भी मंज़ूर हो गये
रौशन थी जिनसे चाँद सितारों की अंजुमन
वो ज़ाविये नज़र के सभी चूर हो गये
हर दौर में ही हश्र हमारा यही हुआ
हर बार हमीं देखिये मंसूर हो गये
साग़र किसी ने प्यार से देखा है इस कदर
शिकवे गिले जो दिल में थे काफूर हो गये
विनय साग़र जायसवाल
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