विनय साग़र जायसवाल

दर्द दिल का मिटा लिया होता


दिल हमारा चुरा लिया होता


 


डस न पाती तुम्हें ये तन्हाई


हमको अपना बना लिया होता 


 


सारी महफ़िल मुरीद हो जाती 


गीत मेरा ही गा लिया होता


 


अपने कमरे में रौशनी के लिए


चाँद अपना बुला लिया होता 


 


सारी सखियाँ न छेड़तीं तुमको


मेरे ख़त को छुपा लिया होता 


 


 पढ़ता साग़र नयी ग़ज़ल मैं भी 


 तूने ख़ुद को सजा लिया होता 


 


🖋️विनय साग़र जायसवाल


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