*सजल नेत्र की शुचि सरिता*
*मात्रा भार 16/14*
सजल नेत्र की शुचि सरिता को ,
देख सजल हो जायेगे।
करुणाश्रय की बाट जोहती,
आँखों में बस जायेंगे।
पोंछेंगे हम नीर चक्षु के,
इसको नहीं गिरायेंगे।
लिए हाथ में दुःख के आँसू,
दिल से इसे लगायेंगे।
करुणासागर से विनती कर,
आज दुआएँ माँगेंगे।
आँसू का हो अंत न जब तक,
चैन नहीं हम पाएँगे।
जीवन के इस महा कुंभ में,
जीवन ज्योति जलाएँगे।
करुणामय संसार बनेगा,
करुणाकर को लाएँगे।
करुणा ही आँसू पोंछेगी ,
सुखसागर लहराएगे।
रचनाकार:
डरपुरी
9838453801
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