एस के कपूर "श्री हंस"

*विधा।।पद्य (अतुकांतिका)*


*रचना शीर्षक।। हे चीन तेरा हर वार* *होगा बेकार है।।*


 


मेरे पास वार है।


फिर पलटवार है।।


अब करता न कोई एतबार है।।


कॅरोना वायरस है।बम ही बम है।


मन में तो बस जंग ही जंग है।।


मैं तो खोखली ताकत के नशे में चूर हूँ।


फैला कर वायरस खुद शांति से भरपूर हूँ।।


 


इरादे वैसे तो केवल नापाक रखता हूँ।


करने की ताकत ,सबको खाक रखता हूँ।।


मुझे अपनी प्रगति पर, झूठा अभिमान है।


आधे से ज्यादा बन रहा, नकली सामान है।।


 


मैंने दुनिया भर के लिए झांसे में,फंसा रखा है।


झूठ सच का जाल , लंबा बिछा रखा है।।


कमजोर मछलियां मेरे जाल में,फंस जाती हैं।


अपनी ताकत मेरे ,हवाले कर जाती हैं।।


 


इस अति घमंड में हर किसी से ,पंगा ले रहा हूँ।


बिन विवाद के भी दबंगई में, दंगा दे रहा हूँ।।


मेरे गलत भेजे में भरा बस, धोखा फरेब का ख्वाब है।


समझता खुद को मैं, दुनिया का यूँ ही नवाब हूँ।।


 


लेकिन असल में अंदर से ,पूरा ही खोखला हूँ।


दुनिया भर में करता दोस्ती, का ढकोसला हूँ।।


आधी से ज्यादा दुनिया, मेरी जानी दुश्मन है।


मेरी हर हरकत पाप में ,लिप्त और गुम है।।


 


मैं भारत को प्रबल, विरोधी मानता हूँ।


लेकिन भारत की ,मातृभूमि भक्ति और शक्ति को जानता हूँ।।


रोज़ सुबह नया पंगा लेने की, कोशिश करता हूँ।


लेकिन अंदर ही अंदर ,बहुत डरता भी हूँ।।


 


दुनिया क्या कहेगी कि, इसका भी भय


सताता है।


इसलिए दुनिया भर से ,झूठी हमदर्दी दिखाता हूँ।।


कॅरोना के हथियार से ,दुनिया से लड़ रहा हूँ।


लेकिन पूरी दुनिया की थू थू से ,खूब डर रहा हूँ।।


 


भारत महान है।भारत स्वाभिमानी है।


चीन को उसके किये की ,सजा तो दिलवानी है।।


चीन को मुंहतोड़ जवाब को, देश तैयार है।


*सुन ले चीन तेरा ,हर वार होगा बेकार है।।*


 


*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस'*'


*बरेली।।*


मोब 9897071046


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