*विषय ।।बेटी बचायें/बेटी पढ़ाएं*
*रचना शीर्षक।।*
*बेटियों के जरिये ही आतीं*
*रहमते भगवान की।।*
महाभारत चीरहरण हर दिन
है चिता जलती हुई।
हो रही रोज़ मौत इक
बेटी की पलती हुई।।
बच्ची की दुर्दशा देख रोता
है मन मायों का।
चीत्कारों में मिलती आशा
नारी की गलती हुई।।
दानवता दानव की अब बस
शामत की बात करो।
कहाँ हो रही चूक बस उस
लानत की बात करो।।
हर किसी को जिम्मेदारी
समाज में लेनी होगी।
सुरक्षा बेटियों की बस इस
बाबत की बात करो।।
अच्छा व्यवहार बेटियों से
ही निशानी इंसान की।
इनसे घर शोभा बढ़ती जैसे
परियां आसमान की।।
बेटी को भी दें बेटे जैसा घर
में प्यार और सम्मान।
मानिये कि बेटियों के जरिये
आती रहमते भगवान की।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।*
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