मदन मोहन शर्मा 'सजल'

"माँ का दरबार सजा"


(मनहरण घनाक्षरी छंद)


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विधान - ८ , ८ , ८ , ७ वर्णों पर यति के साथ ३१ वर्ण प्रतिचरण, चरणांत ।S, चार चरण, चरणांत तुकांतता।


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माँ का दरबार सजा, नवरात्रि करो पूजा


आशीषों की जननी माँ, आरती उतारिये।


 


पूजा थाल पुष्प माल, चुनरियाँ टीका भाल


तन मन प्राण सागे, दुर्भाग्य बुहारिये।


 


रंक को बनाये राजा, माँ के दरबार आजा


चरणों में रख शीश, भाग्य को संवारिये।


 


ममता की देवी माता, भक्तों की पुकार माता


दुष्टों का संहार माता, हिय से पुकारिये।


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*मदन मोहन शर्मा 'सजल'*


*कोटा 【राजस्थान】*


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