सुनीता असीम

दिख रहे आसार हैं इल्जाम के।


काम उसने जो किए दुश्नाम के।


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जिन्दगी भर सोचते थे कर बुरा।


के मिलेंगे घूंट दो दो जाम के।


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दिल दुखाया हर किसी का आपने।


तुम नहीं हकदार हो ईनाम के।


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की नहीं तुमने दया मजलूम पर।


देखते हो ख्वाब क्यूं श्रीधाम के।


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राम के ही नाम में है फायदा।


आ गए जब पास हो अंजाम के।


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अब सुनीता कह रही तुमसे यही।


के करो तुम जाप केवल नाम के।


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सुनीता असीम


१७/१०/२०२०


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