दयानन्द त्रिपाठी दया

अंतर्राष्ट्रीय_पुरूष_दिवस_की_हार्दिक_शुभकामनाएं.....


 


कर्तव्यों की दृढ़ता से, संघर्ष सदा ही करता है।


दायित्वों को पूरा करने को, कष्टों को भी सहता है।।


 


त्यागतत्व को लिये सदा, अपनों की इच्छा पूरा करता है।


अपनी इच्छाओं का दमन कर, हर पल हंसता रहता है।।


 


मातृभूमि के लिए सदा, सबकुछ न्यौछावर करता है।


देश-धर्म कर्तव्य-कर्म की, बलिवेदी पर चढ़ता है।।


 


निरपेक्ष भाव से परिजन का, दु:ख हर लेने को फिरता है।


प्राप्त्याशा को छोड़ सदा, सब देने को तत्पर रहता है।।


 


मन मनसा को मार सदा, विलक्षण लिये फिरता है।


संतति में सहभागिता से, वंश बढ़ाया करता है।।


 


गुण और दोष के समन्वय को ले, हंस सरस सा बनता है।


घुट-घुट कर भी पुरूष सदा, जीवन पथ पर चलता है।।


 


दया कहे हे! जग वालों, नर का भी नारी सा सम्मान करो।


एक दूसरे के पूरक हैं, शाश्वत सम्प्रभुता का गुणगान करो।।



दयानन्द_त्रिपाठी_दया


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