सारिका विजयवर्गीय वीणा

*विधाता छंद *मुक्तक*


 


*भाईदूज की हार्दिक बधाई*


 


लगा कर भाल पर टीका, खिलाऊँगी मिठाई मैं।


बना कर प्रेम का धागा, सजाऊँगी कलाई मैं।


दुआएँ दे रही तुझको,मिले खुशियाँ तुझे सारी-


सजा उर नेह की थाली, लुटाने प्रेम आई मैं।


 


खिले तेरा सदा आँगन, मनाते पर्व हम पावन।


बलाएँ छू न पाएंगी , उतारूँ मैं नज़र दामन।


रमा माता सदा भाई ,कृपा तुम पर लुटाती हो-


यही आशीष दे बहना, मिले यश नाम ले जन-जन।


 


*सारिका विजयवर्गीय "वीणा"*


*नागपुर( महाराष्ट्र)*


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