सुनीता असीम

बेगानों से यारी तक करवा रक्खी है।


प्यार मुहब्बत की खुशबू फैला रक्खी है।


*******


खोटा काम नहीं करते हम फिर भी रब ने।


तकदीर बुरी ही अपनी लिखवा रक्खी है।


********


अच्छी बात नहीं दुनिया से यारी करना।


थाम हथेली पर हमने दुनिया रक्खी है। 


********


चार दिनों का मेला होता जग में रहना।


एक दुकाँ जिसमें हमने लगवा रक्खी है।


*******


लगती दुनिया आज पराई हमको सारी।


रंग सियारों सी चाहे रंगवा रक्खी है।


*******


सुनीता असीम


६/११/२०२०


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511