विनय साग़र जायसवाल 

🌹ग़ज़ल--


 


तीरगी का गुमां मिटाना है


ऐसे दीपावली मनाना है


 


जिससे सारा जहान हो रौशन


हम को माहौल वो बनाना है


 


ऐसे जज़्बात रख बशर दिल में


सारी दुनिया को जगमगाना है


 


सोच में इतना ढालिए साहिब


अपना घर ही ये सब ज़माना है


 


फिर तो आने लगेंगे सब पीछे


आपको बस क़दम बढ़ाना है


 


सोच लो आज यह सभी दिल में


दौर इंसानियत का लाना है 


 


दौर ऐसा है यह मेरे *साग़र*


नेकियाँ कर के भूल जाना है


 


🖋️विनय साग़र जायसवाल 


बरेली


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