डॉ0हरि नाथ मिश्र

 *षष्टम चरण*(श्रीरामचरितबखान)-20

साँझ परे बिलखत दसकंधर।

भवन परा असांत भयंकर।।

      जाइ तहाँ पुनि कहै मँदोदर।

      राम बिरोधहिं कंत न अब कर।।

जासु दूत अस करि करनामा।

दियो तोरि सभ तव अभिमाना।।

    भल तुम्ह जानो राम-प्रतापू।

     जानि गरल मत पीवहु आपू।।

जानउ तुम्ह मारीच-कहानी।

किया जयंत याद निज नानी।।

    हत बाली सुग्रीव बचावा।

    सिव-धनु तोरि प्रभाव दिखावा।।

सूपनखा-गति जानउ तोहीं।

खर-दूषन-कबंध जे होंहीं।।

     अस रामहिं सँग करउ मिताई।

      यहि मा तव मम होय भलाई।।

बान्हि क सिंधु कपिन्ह अलबेला।

पहुँचे सेन समेत सुबेला ।।

     पुनि न कहहु तेहिं नर हे नाथा।

     प्रभु पहँ  जा झुकाउ निज माथा।।

मरन-काल जब आवै नियरे।

मन हो भ्रमित होय जस तुम्हरे।।

दोहा-जेहि कारन सुनु नाथ गे,पुत्र दोउ सुर-धाम।

         अब बिरोध तिसु नीक नहिं,सुमिरउ रामहिं नाम।।

                            डॉ0हरि नाथ मिश्र

                              9919446372

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