डॉ0 रामबली मिश्र

*क्या तुम...? (सजल)* क्या तुम सच में प्यार करोगे? या मारोगे और मरोगे?? सच बतलाओ झूठ न बोलो। क्या मुझको स्वीकार करोगे?? सोच-समझकर बतलाओ प्रिय। क्या मुझपर इतबार करोगे?? यही चाह है प्यारा घर हो। क्या सचमुच में धार धरोगे?? कसम खुदा की तुम सर्वोत्तम। कभी नहीं इंकार करोगे?? दिल में केवल तुम्हीं रमे हो। क्या यह सच स्वीकार करोगे?? तुम हो तो जग में हरियाली। क्या सूना संसार करोगे?? जीवन की तुम अभिलाषा हो। क्या प्रिय सच्चा प्यार करोगे?? रचनाकार:डॉ0रामबली मिश्र हरिहरपुर 9838453801

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