राजेंद्र रायपुरी

 😊😊 जग जाहिर बात 😊😊


जग जाहिर ये हो गया, 

                     हैं वे नहीं किसान।

जो बैठे हैं सड़क पर, 

                   अपनी भृकुटी तान।

अपनी भृकुटी तान,

                     सुनो बैठे वो नेता।

जिनकी गली न दाल,

              और छिन गया लॅ॑गोटा।

सच कहता कविराय, 

               सड़क पर सारे ही ठग।

छुपी कहाॅ॑ है बात, 

                गई हो ये जाहिर जग।


            ।। राजेंद्र रायपुरी।।

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