🌹🙏🌹सुप्रभात🌹🙏🌹
कनक किरण रथ चढ़, भानु भवन आए ।
मणिमय मयूख मुकुट से, स्व शीश सजाए ।
भूषण वसन कंचन के पहिरे,द्वार अरुण आए ।
अब तो उठो तुम बाहर आओ,कर्म तुम्हें बुलाए।
उद्घोष करें अरुणशिखा, विहग वृंद सब मंगल गाए ।
कली कुसुम से पथ सजाकर, प्रकृति तुम्हें बुलाए।
✍️आचार्य गोपाल जी उर्फ आजाद अकेला बरबीघा वाले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511