डॉ० रामबली मिश्र

 *तेरी याद में.        (ग़ज़ल)*


तेरी याद में अब ग़ज़ल लिख रहा हूँ।

मोहब्बत का मारा सजल लिख रहा हूँ।।


नफरत से टूटा हुआ यह हृदय है।

भजन करके तेरा भजल लिख रहा हूँ।।


हाथी की मस्ती से हो कर प्रभावित।

तेरी आरजू में हजल लिख रहा हूँ।।


नजरों में मेरे तुम्हीं इक गड़े हो।

बड़े प्रेम से इक नजल लिख रहा हूँ।।


बजाता हूँ बाजा मधुर स्वर-त्वरा में।

बहुत आशिकी में बजल लिख रहा हूँ।।


आँखों की काजल में खुशबू है तेरी।

तेरी देख आँखें कजल लिख रहा हूँ।।


मजा तेरा यौवन मजी है जवानी।

सुंदर वदन पर मजल लिख रहा हूँ।।


सुहाना सुजाना सजावट सुघर श्री।

चेहरे पर तेरे महल लिख रहा हूँ।।


रचनाकार:डॉ० रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801

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