राजेंद्र रायपुरी

 प्रस्तुत है लावणी छंद पर एक मुक्तक- 

😄😄😄😄😄😄😄😄😄


खोल दिया है मदिरालय सब,   

                कुछ लोगों को काम मिले।

पीकर प्याला कोरोना में,

                    लोगों को आराम मिले।

पड़ा ख़जाना खाली कब से,

                       राजकाज कैसे होगा, 

भरे ख़जाना सदा इसी से,

                   मुॅ॑ह माॅ॑गा जो दाम मिले।


             ।। राजेंद्र रायपुरी।।

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