डॉ० रामबली मिश्र

 *बुरा मत समझ...*

     *(ग़ज़ल)*


बुरा मत समझ प्रेम को दुनियावालों।

नाजुक अमर तत्व को नित सँभालो।।


स्वयं ईश रूपी इसे जान लेना।

करो प्रेम-पूजा इसे बस बचा लो।।


नैसर्गिक परम प्रिय सबल संपदा यह।

महा शक्ति को नित सजा  दुनियावालों।।


महा औषधी यह बीमारों का हमदम।

सुरक्षित रखो इसको हरदम बुला लो।।


कोमल बहुत यह कली है

चमन की।

इसको सजाओ सँवारो बचा लो।।


हृदय पक्ष इसका बहुत कोमलांगी।

नरमी कलाई को दिल से लगा लो।।


नफरत न करना यह आशिक पगल है।

इसे आशियाना दे प्रति पल बसा लो।।


जुबां प्रेम की मीठी होती बहुत है।

चखो स्वाद इसका हृदय में समा लो।।


दुश्मन बहुत  प्रेम  के भेड़िया हैं।

बचा प्रेम को नित्य माथे लगा लो।।


डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी

9838453801

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511