लोहड़ी आशुकवि नीरज अवस्थी

 लोहड़ी


तिल खुटिया रेवड़ी मिले तापो खूब अलाव।

मन चंगा है गा मेरा सरदारा घर जाव।


भांति भांति के बन रहे उनके घर पकवान

हमे खिलाया प्यार से जैसे हम भगवान।


चाचा जी के लाड में चाची जी का प्यार।

नीरज नयना हो गए तुम सब पर बलिहार।

 

लोहड़ी बीते हर्ष से मन का मिठे विषाद।

बार बार है आ रही प्रीती तेरी याद।


आप को लोहड़ी की हार्दिक बधाई 

चित्र गूगल से साभार


आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...