नूतन लाल साहू

 रिश्ता


रिश्तों को वक्त पर

वक्त देना,उतना ही जरूरी है

जितना पौधों को

वक्त पर पानी देना

अटूट रिश्ता हैं

भक्त और भगवान का

पर,मतलबी हो रहा है

धरती का इंसान

इसीलिए बहरे हो गये है

दीनबंधु भगवान

मत भुलो,प्रभु जी के नाम को

और नहीं,कुछ चाह

प्रभु जी,खुद ही करेगा

अपने भक्त का परवाह

रिश्तों को वक्त पर

वक्त देना,उतना ही जरूरी है

जितना पौधों को

वक्त पर, पानी देना

बुरे समय को देखकर

मत घबराना,इंसान

अगर कुछ बुरा हो भी जाये

तो खो मत देना होश

हरी की इच्छा समझकर

कर लेना संतोष

जी लेे बंदे,आज में

बीत गया सो भूल

दुःख में सुख को ढूंढना

शुरू कीजिए,आप

जिनको खुद पर है,आस्था

प्रभु जी पर है,विश्वास

कोई भी बाल न बांका कर सकें

इसे सत्य,तू जान

रिश्तों को वक्त पर

वक्त देना, उतना ही जरूरी है

जितना पौधों को

वक्त पर, पानी देना


नूतन लाल साहू

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...