डॉ0 हरि नाथ मिश्र

*चौपाइयाँ*(देश-भक्ति)
देश-भक्ति की शुद्ध भावना।
सदा रहे हर जन का सपना।।

देश-भक्ति यदि भाव नहीं है।
पत्थर-दिल  इंसान  वही  है।।

राष्ट्र-प्रेम है प्रेम निराला।
देश हेतु मर-मिटने वाला।।

चाहे राष्ट्र समर्पण पूरा।
इसे न भाए भाव अधूरा।।

राष्ट्र-धर्म  ही  मात्र  धर्म  है।
त्याग राष्ट्र-हित सुखद कर्म है।।

धर्म सनातन कहता  अपना।
राष्ट्र-सुरक्षा  करते  रहना।।

देश-भक्ति का गीत सुहाना।
सब जन को है नित-नित गाना।।
         ©डॉ0हरि नाथ मिश्र
            9919446372

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... दयानन्द त्रिपाठी व्याकुल

गीत- दिन से क्या घबराना दिन तो आते जाते हैं....... चुप्पी  के   दिन खुशियों के दिन भीगे सपनों की बूंदों के दिन, आते जाते हैं, दि...