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आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल
पावनमंच को मुझ अकिंचन का प्रणाम, आज की रचना ।।सम्भावना।। शीर्षक।। पर है,अवलोकन करें.. संसारू बँटा लगै भागु मा दुईऔ कयामतु लागि गयी नकुचाई।। दीनदयाल दयो सद्बुद्धि नाही तौ सृष्टि रसातलु जाई।। फलस्तीनु भयो बरबाद मुला अबु लागतु बारी है पाकु कै आई।। भाखत चंचल हे करूनानिधि कैसी बयारू बही चौपाई।।1।।। भारत सैन्य विचारू करैअमरीका औ चीन तनातनी आई।। हमदर्द रहा फलस्तीनौ मुला सेना दयी इजरैलु अँटाई।।। भाखत चंचल हे करूनानिधि कैसी बयारू बही चौपाई।।2।। सत्तावनु मुस्लिम देखु जहानु रहे सबु एकु जोकालु देखाई।। फूटि गयी एकता उनकय औ आजु धडा़ दो परै दिखलाई।। भाखत चंचल हे करूनानिधि दयो सद्बुद्धि औ युद्ध बचाई।।3।। तूफानौ थम्हा औ कोरोनौ नसे औ यहू युद्ध रूकै जबु भाई।। राकेट और मिसाइल युद्ध दहाडि़ रहा बोफोर्स ऊ जाई।। हाइपरसोनिक याकि कहौं जो रहे सुपरसोनिक होतु लडा़ई।।। भाखत चंचल हे करूनानिधि सृष्टि तोहारू विनाशु पै आई।।4।। आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी, चंचल।ओमनगर,सुलतानपुर, उलरा,चन्दौकी, अमेठी ,उ.प्र.।।मोबाइल...8853521398,9125519009।।
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