सुनीता असीम

दर्द में यार जब मुस्कुराने लगे।
फिर हमें वो हसी भी रुलाने लगे।
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खो गया दिल कहां से कहां ये मेरा।
जब से नैनों के उनके निशाने लगे।
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हौंसला साथ देने का जिनका नहीं।
दम हमें आशिकी का दिखाने लगे।
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नाम से प्यार के जो थे अंजान से।
वो मुहब्बत की रस्में निभाने लगे।
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देख हमको सनम मुस्करा जब दिए।
प्रेम के गीत हम तब से गाने लगे।
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सुनीता असीम

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