देवानंद साहा आनंद अमरपुरी

........................दस्तक............................

आप  देते   रहिये  बंद   दरवाजों   पर   दस्तक।
साथ  ही   दीजिये  बंद   दिमागों  पर   दस्तक।।

हम  अच्छे - अच्छे   रिवाजों   को  मानते  चलें;
पर जरूर  दिया करें बुरे  रिवाजों  पर  दस्तक।।

समाज  हर  तरह  के  होते  हैं, अच्छे और  बुरे;
हमेशा   दिया  करें  बुरे  समाजों   पर  दस्तक।।

जो खुद अच्छे काम करते, उन्हें मदद करते रहें;
कभी न  दिया करें  ऐसे  परवाजों  पर दस्तक।।

आगाज़ ठीक है  तो अंजाम भी ठीक  ही होगा;
बराबर दिया  करें अच्छे आगाजों  पर दस्तक।।

हर जगह है  छीनाझपटी सभी  ताजों के लिए;
सही को मिले ,दें हम सभी ताजों  पर दस्तक।।

मुल्क के हर आवाम रहें  हर हाल  में "आनंद";
देते रहें हुक्मरानों के हर दरवाजों पर दस्तक।।

----------------देवानंद साहा "आनंद अमरपुरी"

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