सुनीता असीम

बिना तेरे किधर जाऊँ।
कहे तू तो मैं मर जाऊं।
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डगर मुश्किल मुहब्बत की।
इसे भी पार कर जाऊँ।
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तू ही है आइना मेरा।
बिना देखे बिखर जाऊँ।
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बता दे हो अगर मुमकिन।
तेरे दिल में उतर जाऊँ।
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नज़र जो पड़        गई तेरी।
मैं खिलकर के निखर जाऊँ।
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सुनीता असीम
१७/५/२०२१

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